वानी

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ब्लैक बेंग्लस से पहली मुलाकात

                 ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 3

       ब्लैक बैंगल्स से पहली मुलाकात

ज्योति मीटिंग से निकलकर अपनी यूनिट चली जाती है और काम करते हुए .....उसे शाम हो जाती है वो जैसे ही अपना काम खत्म कर के यूनिट से बाहर जाने लगती है उसके पास एक मेसेज आता है ज्योति उस मेसज को पढ़ती है और वहां से अपनी स्कूटी लेकर निकल जाती है! 

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"नॉर्थ नज़ीमाबाद"

देवांश बैठा सबकी बातें सुन रहा था! वो इस वक्त  बहुत खामोश लग रहा था....सामने एक शख्स खड़ा था जो उससे ड्रग्स स्मगलिंग के बारे में बता रहा था वह शक्स कहता है "हमारा माल शिप के जरिए 2 दिन बाद मुंबई पहुँच जायेगा ... उसके बाद इंडिया के मार्केट मे.... और एक शिप दुबई के लिए रवाना हो जायेगी"

इतनी देर से खामोश बैठा देवांश फाइनली बोलता है.... "और जो ड्रग्स अमेरिका और इराक जाने थे उसका क्या हुआ".... वो शक्स दुबारा बोलता है..... 

"दुबई जाना आसान है....लेकिन अमेरिका ड्रग सप्लाई करने के लिए हम प्लान कर रहे हैं ! कल तक ड्रग सप्लाई हो जाएंगे आप ! उसकी फिकर मत करिए"
 
देवांश उस शक्स को एक नज़र देखता है फिर कहता है..... "तुम्हे लगता है की मुझे फिकर करने की ज़रूरत है! फिकर करने की ज़रूरत तुम्हे है"

 देवांश कमरे से बाहर जाते हुए कहता है "अगर  मेरा माल समय पर सही जगह नहीं पहुंचा....तो तुम सही समय  पर गलत जगह पहुँच जाओगे , आगे तुम्हारी मर्ज़ी"... और वहाँ से चला जाता है.... 
और वह आदमी अपना पसीना पोछता है.... और अपने बगल मे खड़े इंसान से कहता है.... "इसके साथ काम करने में पैसों का फायदा है.....और जिंदगी का नुकसान"

तो दूसरा आदमी कहता है "इस इंसान के लिए जिंदगी की कोई कीमत नहीं है...और ये किसी को भी मारने से पहले.....एक बार भी नहीं सोचता....लेकिन  एक दिन ये अपनी दुनिया खुद अपने हाथों से बर्बाद करेगा" उसके बाद वह दोनों भी वहां से निकल जाते हैं.... 

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"शाम के समय"

"लाहौर के एक जंगल मे"

ये एक छोटा सा घर था उस घर के अंदर से किसी के चीखने की आवाज़ आ रही थी...... उस कमरे मे एक आदमी घुटने के बल बैठा था और उसका पुरा शरीर खून से लतपथ था... और माफी मांगते हुए कहता है "मुझे माफ कर दो" . . . . . उसके सामने देवांश चेअर पर बैठा था और अपने हाथो पर लगा खून साफ कर रहा था....अपने हाथ का खून साफ करने के बाद देवांश उस आदमी की तरफ देखता है और अफसोस के साथ तंज कसते हुए कहता है

" अफसोस राघव की तू मेरे हाथ लग गया.... तु जनता है मुझे धोखे से सख्त नफरत है!.... और तुझे लगा की तू मुझसे यानी देवांश से धोखा करके बच जायेगा...... वेरी बेड!..... तुझे पता है एक हरे भरे जंगल को जला कर राख करने के लिए आग की एक चिंगारी ही काफी है..... और मै तो पुरा ज्वालामुखी हूं सोच क्या होगा"  इतना कहकर देवांश वहां से जाने लगता है 

तभी वह आदमी अपनी रुकती हुई सांसों को संभाल कर धीरे से कहता है...."जहर को जहर काटता है, वैसे ही तुझे तेरी आग ही बर्बाद कर देगी.....मेरी बात याद रखना देवांश....हमारी  सजा बहुत कम है! लेकिन तेरे गुनाहों की ऐसी सजा होगी...जो तेरी रूह तक को छलनी कर देगी!...... तु जिंदा तो रहेगा...लेकिन वह जिंदगी तुझे मौत से भी ज्यादा बत्तर लगेगी"

उस आदमी की बात सुन देवांश कहता है....."ऐसी बद्दुआ अच्छे लोगो को लगती है....और मुझे तुझ जैसा अच्छा इंसान नहीं बनना.....और तेरी इन खोखली बातों से देवांश नहीं डरता! मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता मैं आग हूं जो सबको जलाकर राख करने आया हूं! ..... इतना कहके देवांश वहां से निकल जाता है 

"दिल्ली के बाहर एक वीरान जंगल में"

कुछ लोग जिन्होंने काले कपड़े पहने थे......और उनका चेहरा काले कपड़े से ही ढका था वह सभी वहां पर बंदूकों के साथ बैठे थे...तभी वहां उन्हें कोई साया दिखता है ......जब सब उस साये को देखते हैं उनमें से एक आदमी कहता है "वहां कोई है"......तो दूसरा कहता है "अबे नहीं तुझे वहम  हो रहा है"

तभी वह पहला आदमी कहता है "अबे नहीं मेरा वहम नहीं है"
तो वो दूसरा आदमी कहता है "एक काम कर जा बाहर जाकर देख कर आ"...पहला आदमी ठीक है कहकर बाहर चला जाता है 

वो आदमी जैसे ही बाहर आता है तो देखता है वहाँ एक लड़की खड़ी थी जिसने "ब्लैक कलर की साड़ी पहनी थी"....उस लड़की की पीठ उस आदमी की तरफ थी वह आदमी उस लड़की को देख उसमें खो सा  गया था 
क्योंकि उस लड़की की ब्लाउज डीप नेक थी...जिसमें उसका चांदी सा गोरा बदन साफ दिख रहा था तभी वह लड़की उस आदमी की तरफ पलटती है... उस लड़की का चेहरा देख वह आदमी उसमें ही खो जाता है....."गोरा चेहरा , नीली आंखें परफेक्ट फिगर और उसका...चांदी सा उसका दमकता बदन वह आदमी उसकी तरफ बढ़ जाता है ......वह जैसे ही...उसके पास जाता है वह लड़की एक चाकू निकालती है और उस चाकू से उस आदमी की गर्दन काट देती है और एक तिरछी मुस्कान के साथ उस घर के अंदर चली जाती है और अपने साथ लाई हुई गन उन पर पॉइंट करते हुए कहती है "इतनी भी क्या जल्दी है....शहर में तबाही फैलाने की पहले इस तबाही से तो मिल लो! उसके बाद शहर में भी तबाही फैला लेना" और उन सबको शूट  कर देती है 

वो सारे आदमी वही बेसुध होकर गिर पड़ते है वह लड़की थोड़ी देर वहां रूकती है फिर वहां से जाने लगती है तभी उनमें से एक आदमी उससे पूछता है..."तुम हो कौन और तुम्हें हमारे बारे में पता कैसे चला.....और तुम जानती हो हम कौन हैं" तो लड़की मुस्कुराते हुए कहती है

"तुम्हारे बारे में जानना कोई बड़ी बात नहीं है!....और रही बात तुम किसके आदमी हो?......तो तुम उस कायर और डरपोक इंसान के साथी हो जो बस छिपकर वार करता है!.....लेकिन उसको उसके किए की सजा जरूर मिलेगी....और तुम जानना चाहते हो ना कि मैं कौन हूं? "
फिर वह लड़की अपने हाथों में पहनी उन काली चूड़ियों को निकालती है और उसकी तरफ उछाल देती है और अपनी रौबदार आवाज में कहती है....."ब्लैक बैंगल्स"...और अपने हाथों से कुछ चूड़ियां निकाल कर उन पर फेंक कर चली जाती है..... 

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"दिल्ली आर्मी कैंट"

ज्योति अपने कमरे में आती है और लेट जाती है... उसे कुछ अच्छा नही लग रहा था... वो लेटी हुई थी की तभी उसकी माँ का कॉल आ जाता है... "हाँ मां आप कैसे हो"
ज्योति की माँ केहती है "मै ठीक हु बेटा तु घर कबतक आयेगी" ज्योति थोड़ा सोचती है फिर कहती है.... "माँ कुछ दिन बाद आ जाऊंगी ,थोड़ा सा काम है वो खतम कर लु उसके बाद"...थोड़ी देर अपनी मां से बात करने के बाद ज्योति बिस्तर पर बैठ कर कुछ पढ़ने लगती है.... तभी उसके सामने  एक तस्वीर घूमने लगती है.... 

जिसमे एक लड़का आगे भाग रहा था और उसके पीछे एक लड़की भाग रही थी.... भागते हुए अचानक वो लड़की गिर जाती है उसे गिरा हुआ देख वो लड़का उसके पास आता .......लड़का दिखने में काफी हैंडसम अच्छी पर्सनालिटी वाला लग रहा था वह लड़का उस लड़की को उठाते हुए कहता है..."तुमने तो इतनी जल्दी हार मान ली इतनी जल्दी गिर जाओगी तो......मुझतक कैसे पहुंचोगी जिंदगी में जीतना है तो शरीर से नहीं मन से भी ताकतवर बनो"....वरना तुम मुझे कभी नहीं पकड़ पाओगे"....ज्योति अपने ख्यालों को झटक्ति है और सोने की कोशिश करने लगती है काफी देर थी कोशिश के बाद आखिर में उससे नींद आ जाती है... 

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"कराची में"

देवांश एक बार में आता है और वही बैठकर ड्रिंक करने लगता है!.. देवांश ड्रिंक कर रहा था तभी उसके पास एक लड़की आती है और उसके सामने वाली सीट पर बैठकर उसे देखते हुए कहती है..."क्या बात है मिस्टर देवांश बड़े दिन बाद आए"
देवांश उस लड़की को खिच कर अपनी गोद मे बिठा लेता है और उसकी कमर सेहलाते हुए कहता है..... "लगता है बदन की आग बुझी नही है"
वो लड़की देवांश के सीने पर हाथ फेरते हुए कहती है..... " क्या है ना , जो बात देवांश मे है ना"
फिर देवांश के कान मे धीरे से  सेडक्टिव वॉइस में कहती है "वह किसी और मर्द में कहा".... और उसके कान को चूम लेती है उसकी इस हरकत से  देवांश के अंदर एक आग सी जलने लगती है....

 देवांश उस लड़की को गोद में उठा लेता है और उस बार में बने प्राइवेट रूम में ले जाकर बेड पर पटक देता और जबरदस्ती उसके कपड़े फाड़ देता थोड़ी देर में ही..... उस कमरे से उस लड़की की सिसकियों की आवाज़ आने लगती है...... 

कुछ समय बाद उस कमरे से उस लड़की की चीखने की आवाज़ आती है जिसमे वो  रिक्वेस्ट कर रही थी "प्लीज देवांश मुझे जाने दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है" लेकिन देवांश आज रुकने के मूड में नहीं लग रहा था देवांश उस लड़की का मुंह बंद कर देता है और उसके साथ बहुत बेरहमी से पेश आ रहा था..... जब देवांश का मन भर  जाता है... तो वो वही पास में पड़े कॉफी टेबल पर नोटों की एक गड्डी रखता है और वहां से निकल जाता है....... 

मोहबत और हवस मे फर्क जानती है
दिल और दिमाग का असर जानती है
वो लड़की आपकी मोहब्बत की
हर नियत जानती है


अगले चैप्टर में हम जानेंगे की देवांश इंडिया आकर क्या प्लान बनाता है और क्या करने वाली है ज्योति के साथ जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ब्लैक बैंगल्स

खुश रहिए आबाद रहिए बैरागढ़ रहिए या धनबाद रहिये.. 

.......... बाय बाय....... 



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6 Comments

KALPANA SINHA

11-Aug-2023 10:50 AM

Nice part

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madhura

10-Aug-2023 02:57 PM

Nice

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अदिति झा

03-Feb-2023 01:58 PM

Nice 👍🏼

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